Bachpan
बचपन
ना दिल टूटने का डर था ना पाने की ख्वाहिश थी,
बस हर जगह हलकी सी मुस्कराहट थी...
बस दौड़ने की ख्वाहिश थी,
बस पतंग उड़ाने की कोशिश,
हार का गम नहीं था,
जीवन मे कोई संग्राम नहीं था,
बस हर जगह हलकी सी मुस्कराहट थी...
बचपन कैसे बीत गया पता ही नही चला,
वोह कठपुतलियों से खेलना,
वोह भैया के साथ मस्ती करना,
बस हर जगह हलकी सी मुस्कराहट थी...
-प्रिया सोजित्रा
Comments
Post a Comment